दिल्ली सरकार का आरोग्य कोष लोगों के लिए वरदान

शीतल और उसके दोस्त की दिल्ली की सड़क पर बाइक फिसलने से दुर्घटना हो गई। शीतल दोस्त के साथ बाइक पे पीछे बैठी थी और दोनों में से किसी ने भी हेलमेट नहीं पहन रखा था। बाइक तेज चल रही थी, बाइक में अचानक ब्रेक लगाने के कारण बाइक फिसल गई जिससे शीतल के सिर में चोट लग गई उस हालांकि उसके दोस्त को कम चोट आयी। उसने खून में लथपथ शीतल को उठाया और वहाँ मौजूद एक आदमी की मदद से उसे पास के फ़ोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अस्पताल में शीतल को ज़रूरी उपचार दिया गया। चूँकि सिर में चोट लगी थी तो सीटी स्कैन जैसे महँगे टेस्ट भी हुए और शरीर के कई हिस्सों के एक्स-रे भी हुए। जिससे निजी अस्पताल होने के कारण उनका बिल लगभग 45000 रुपये पहुँच गया। शीतल और उसके दोस्त को जब पता चला कि उसके इलाज में इतने रुपये खर्च हो गये हैं और उन्हें बिल भरना होगा, तो वे थोड़ा डर गए। 

उसी दौरान एक और प्रक्रिया चल रही थी, हॉस्पिटल के द्वारा इस दुर्घटना को पुलिस थाने में रजिस्टर करने की। हॉस्पिटल के द्वारा नज़दीकी थाने में दुर्घटना की सूचना दी जाती है। थाने से एक पुलिस ऑफिसर आता है, शीतल से कुछ पूछताछ करता है। शीतल उपचार के बाद बातचीत करने की अवस्था में थी। पुलिस ऑफिसर ने एक सूचना पत्र पर दुर्घटना का व्यौरा लिखकर शीतल के हस्ताक्षर लिए कि दुर्घटना कैसे और कहाँ घटित हुई। 

शीतल का दोस्त परेशान था कि हॉस्पिटल का बिल कैसे चुकाया जाये, उन्हीं डॉक्टरों में से एक डॉक्टर उसकी परेशानी देखकर कहता है आपको बिल को लेकर ज़्यादा घबराने कि ज़रूरत नहीं है, आपके बिल दिल्ली सरकार चुकाएगी। उसने पूछा वो कैसे? डॉक्टर ने कहा कि, ‘दिल्ली सरकार ‘सड़क दुर्घटना योजना’ नाम से एक योजना चलाती है जिसके तहत आपका बिल दिल्ली सरकार चुकाएगी। इस योजना में दिल्ली की सड़कों पर हुई दुर्घटना में पीड़ित लोगों का 5 लाख रुपये तक का इलाज फ्री होता है और कई ज़रूरी जाँच फ्री होती हैं। योजना कैशलेस है, जिसमें पीड़ित को कोई रक़म पहले या बाद में चुकानी नहीं पड़ती।  

सरकारी आँकड़ों के अनुसार पिछले साल अक्टूबर तक 1.13 लाख लोगों ने दिल्ली सरकार की 'दिल्ली आरोग्य कोष' योजना के तहत मुफ्त इलाज का फ़ायदा लिया है। इस योजना के अन्तर्गत मुख्य जाँचों में डायलिसिस, रेडियोलॉजी जाँच जैसे सीटी स्कैन, सर्जरी और कई अन्य उपचार शामिल हैं।

2011 में दिल्ली आरोग्य कोष बनाया गया था जिसके अन्तर्गत पांच योजनाएं शामिल हैं- वित्तीय रूप से कमजोर रोगियों को वित्तीय सहायता, मुफ्त हाई-एंड रेडियोलॉजिकल डायग्नोस्टिक टेस्ट योजना, कैशलेस सर्जरी योजना, सड़क यातायात दुर्घटना (आरटीए) योजना (आरटीए योजना को फरिश्ते योजना के नाम से भी जाना जाता है) और कैशलेस डायलिसिस योजना।

दिल्ली सरकार द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार योजना का लाभ उठने वाले लोगों की संख्या 2022 की तुलना में काफी बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 से मार्च 2022 तक योजना के तहत 4.27 लाख से अधिक मरीज लाभ उठा चुके हैं। इसके लिए केजरीवाल सरकार की ओर से 168.43 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 2022-23 में कुल 1,27,785 लाभार्थियों ने इस ‘दिल्ली आरोग्य कोष’ योजना के तहत मुफ्त इलाज और परीक्षण का लाभ उठाया। 2023 में अक्टूबर के अंत तक यह संख्या 1,13,693 थी।

साल 2022 में, कुल 1,15,358 लोगों ने मुफ्त हाई-एंड रेडियोलॉजिकल जाँच योजना का फ़ायदा लिया, 2,216 ज़रूरतमंदों ने डायलिसिस कराया, 5,218 ने मुफ्त सर्जरी योजना का लाभ उठाया, 1,295 आर्थिक रूप से कमजोर रोगियों को मुफ्त वित्तीय सहायता मिली और 3,698 ने 2022 में फरिश्ते योजना के तहत इलाज का फ़ायदा उठाया।

अक्टूबर 2023 तक, 1,04,156 लोगों ने एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे आदि जैसे मुफ्त रेडियोलॉजिकल परीक्षणों का लाभ उठाया, 2,245 लोगों ने कैशलेस डायलिसिस, 3,004 लोगो को सर्जरी, 3,604 लोगों को फरिश्ते योजना के द्वारा मुफ़्त इलाज का लाभ मिला और 684 आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आर्थिक सहायता मिली।आरोग्य कोष के अंतर्गत इंप्लांट के लिए 5 लाख तक की आर्थिक सहायता मिलती है.  इसके लिए मरीज को दिल्ली आरोग्य कोष में अपना आवेदन और अन्य डाक्यूमेंट्स जमा करने होते हैं. यह पूरी तरह से कैशलेस स्कीम है. 

दिल्ली आरोग्य कोष के तहत इस स्कीम में ‘फरिश्ते योजना’ भी  शामिल है. इसके तहत सड़क दुर्घटना, आग में झुलसने और एसिड अटैक जैसी दुर्घटनाओं के पीड़ित व्यक्ति को सरकारी अस्पताल में फ्री इलाज मिलता है। दुर्घटना के 72 घंटे के भीतर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने पर इलाज का सारा खर्च दिल्ली सरकार उठाती है। योजना के लाभ के लिए  इस तरह की घटना को हॉस्पिटल द्वारा पुलिस थाने में दर्ज कराया जाता है और पुलिस तुरंत पीड़ित के पास आकर उसका बयान लेकर मामले की जाँच करती है। इस योजना का लाभ तभी मिलता है जब घटना दिल्ली की सीमा के अंदर होती है।

इस योजना के तहत पंजीकृत जाँच केंद्र/नर्सिंग होम/निजी अस्पतालों को पीड़ितों के इलाज के दौरान आई इलाज की लागत को दिल्ली आरोग्य कोष के माध्यम चुकाया जाता है। आरोग्य कोष योजना के तहत सभी सरकारी अस्पताल के साथ प्राइवेट अस्पतालों और कई मान्यता प्राप्त लैब को भी जोड़ा गया है ताकि मरीज सरकारी अस्पतालों में वेटिंग होने पर प्राइवेट अस्पताल या लैब में मुफ्त मेडिकल टेस्ट करवा सकें। योजना के तहत मरीज करीब 136 तरह के मेडिकल टेस्ट मुफ्त करा सकते हैं। साल 2017 से इसके लिए केजरीवाल सरकार की ओर से 168.43 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 

दिल्ली आरोग्य कोष योजना के तहत मरीज़ों की जाँच और इलाज सफलतापूर्वक चल रहा है। आँकड़ों से पता चलता है कि साल दर साल लाभार्थियों की संख्या बढ़ रही है। पिछले साल अक्टूबर तक योजना के तहत इलाज कराने वाले लाभार्थियों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखी गई है। इण्डियन एक्सप्रेस को एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''पिछले पूरे साल के मुक़ाबले साल 2023 में कुल लाभार्थियों की संख्या में काफी वृद्धि होगी और हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह पिछले साल की संख्या को पार कर जाएगा क्योंकि कुछ महीने और बचे हैं।'' 

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि फरिश्ते योजना के तहत प्रदान किया जाने वाला उपचार 2022 की तुलना में बढ़ रहा है। अधिकारियों ने कहा कि योजना के तहत खर्च की जाने वाली राशि भी बढ़ी है। सड़क दुर्घटना होने के कारण शीतल का इलाज फ़रिश्ते योजना के अन्तर्गत ही किया गया।

भारत में साल 2022 में कुल 4 लाख 61 हजार से ज्यादा सड़क हादसे हुए। जिनमें 1 लाख 68 हजार लोगों की मौत हो गई। इस साल रोज 1264 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 462 लोगों की मौत हो गई। अगर हर मिनट सड़क दुर्घटनाओं को देखें तो भारत में हर एक मिनट में सड़क दुर्घटना में तीन लोगों की मौत होती है। हर साल मौतों और सड़क दुर्घटनाओं का ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। 

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तीन साल (2020 से 2022) में कैंसर से 23.68 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। यानी हर दिन 2160 मौतें व 3905 मामले सामने आ रहे हैं। इसके अलावा तीन साल में 42 लाख से अधिक लोग चपेट में आ चुके हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक हर साल औसतन 7.89 लाख मौतें हो रही हैं।

भारत सड़क दुर्घटनाओं और कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों की राजधानी है। भारत सरकार द्वारा चल रही ‘आयुष्मान भारत’ और दिल्ली सरकार की ‘दिल्ली आरोग्य कोष’ जैसी योजनाएँ देश को करोड़ों लोगों तक पहुँचनी चाहियें, दिल्ली सरकार की इस योजना का दायरा दिल्ली तक है। शीतल बताती हैं कि, ‘बिल जमा करने को लेकर मुझे और मेरे दोस्त को परेशान देखकर अगर डॉक्टर हमें इस योजना के बारे में न बताते तो हम इस योजना का लाभ नहीं ले पाते’। शीतल को सिर में चोट का दर्द अब भी है लेकिन वे सरकार की इस योजना से खुश दिख रही थी।     


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डेविड

'काम' की कमी नहीं है। पढ़ना और जानना सीख रहे हैं। पत्रकार होने की कोशिश। कबीर की चौखट से 'राम-राम'। पश्चिम उत्तर प्रदेश से हैं। भारतीय जन संचार संस्थान(IIMC)- 2023-24