कैंसर वाले कैमरे से नई राह दिखाती जिंदगी

रवि प्रकाश को फेफड़े का कैंसर है। उनका कैंसर चौथे स्टेज में है। रवि कहते हैं कि एक रिपोर्ट उनकी जिंदगी के अन्त की मुनादी हो सकती है। रवि इस समय कीमो-घेरेपी और टारगेट थेरेपी पर हैं।

रवि की तरह देश के लाखों लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं। ज्यादातर लोगों को तो कैंसर जैसी बीमारी का पता रवि की तरह देर से चलता है या पता चलने पर इलाज ढंग से नहीं मिल पाता। कम जागरूक ग्रामीण और गरीब लोगों के लिए यह और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

रवि पेशे से पत्रकार हैं। अपनी बीमारी के बारे में मुखर होकर बातें करते हैं और लेख लिखते हैं। इससे आम लोगों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता फैलती है और सरकार तक पीड़ितों की बातें पहुंचती हैं।

साल 2000 से 2022 के बीच 22 सालों में भारत में एक करोड़ पचास लाख लोगों की मौत कैंसर से हुई है। इसके बाद भी भारत में कैंसर अधिसूचित बीमारी नहीं है। रवि अपने सोशल मीडिया और लेखों के माध्यम से कैंसर को अधिसूचित बीमारी पोषित कराने के लिए कैंपेन चलाते हैं।

उनकी कोशिशों का नतीजा है कि बीते अक्टूबर में झारखंड सरकार ने कैंसर को अधिसूचित बीमारी पोषित किया है। इसके तहत सरकारी और निजी अस्पतालों में कैंसर का इलाज करा रहे मरीजों के बारे में सरकार को बताना होगा ताकि एक डेटाबेस बनाया जा सके। इससे आगे की नीतियों को तैयार करने में मदद मिलेगी।

रवि कहते हैं कि, "कैंसर का इलाज कराना आसान नहीं है, यह बहुत महंगा होता है। बीमारी के कारण आपकी नौकरी चली जाती है। मैने भी अपनी जमीन बेची है ऐसे भी टूटता है आदमी। हर कैंसर से मौत नहीं होती है। यह सफर बहुत कठिन है।

इस कठिन सफर को थोड़ा आसान करने के लिए भारत सरकार आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए का कवरेज देती है लेकिन इसमें कैंसर की इम्यूनो-धेरेपी और टारगेटेड बेरेपी की लगभग सभी दवाएं शामिल नहीं है। यहां तक कि सामान्य कीमो थेरेपी की कुछ दवाओं की उपलब्धता भी आयुष्मान योजना के अंतर्गत नहीं है।

वैज्ञानिकों के अनुसार सिगरेट और बीड़ी का सेवन फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है लेकिन ब्रिटेन में प्रदूषित वायु में अधिक रहने वाले दस में से एक व्यक्ति में फेफड़ों का कैंसर मिला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2019 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में फेफड़ों के कैंसर से मरने वाले 3 लाख लोगों की मौत के लिए पीएम 2.5 प्रदूषक कण जिम्मेदार है।

अभी हमारे चारों तरफ पीएम 2.5 प्रदूषक कण अत्यधिक मात्रा में मौजूद है। एक रिपोर्ट के अनुसार विल्ली एनसीआर की प्रदूषित हवा में 24 घंटे सांस लेना 25 से 30 सिगरेट पीने के बराबर है। इससे दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों की आयु औसतन 10 साल कम हो रही है। क्या पता रवि प्रकाश को सिर्फ 45 साल की उम्र में फेफड़ों का कैंसर चारों ओर मौजूद प्रदूषित हवा के कारण ही हुआ हो।

रवि को कैंसर के बारे में अपनी जिंदगी के 45 वें साल में पता चला। अब वो लगभग 3 साल से कैंसर सर्वाइवर हैं। उनको पता चलने तक कैंसर चौथे स्टेज में प्रवेश कर चुका था। रवि ने अप्रैल 2022 में कैंसर के नाम एक खत लिखा था जिसमें वह कहते हैं कि में दरअसल कीमो-बरेपी का शतक लगाना चाहता हूं ताकि आने वाले वक्त में लोग कहें कि कीमो थेरेपी से क्या डरना, देखो उसने तो 100 या अधिक बार कीमो थेरेपी ली है। सितंबर 2023 तक रवि 45 कीमो-घरेपी करा चुके हैं।

रवि आगे आशा भरी स्याही से लिखते हैं कि, कैंसर तुम मेरे फेफड़ों में हो। मैं सर्जरी नहीं करा सकता। तुम्हारे साथ ही रहना है अबा तुमने मेरा प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।इस साथ को और लंबा रखना है। बशर्ते तुम मेरा साथ दो। क्योंकि मेरे साथ कुछ और लोगभी रहते हैं। उनके वास्ते तुमसे कुछ वक्त की गुजारिश है।

रपि कैंसर के साथ जीना सीख गएहैं। उन्होंने दिवाली पर अपने पर के लिए नए पौधे खरीदे हैं। रवि ने सोशल मीडिया 'X' पर अपनी पत्नी के साथ पैराग्लाइडिंग करते हुए फोटो शेयर की और लिखते हैं कि खुद को कोसने से फायदा भी क्या? ठीक है कि अस्पताल में मेरी पहचान मरीज की है, लेकिन बाहर? वहां तो में आम इंसान ही हूं।

""कैंसर वाला कैमरा' नाम से रवि प्रकाश का फोटो संग्रह है। जिसमें वो कैंसर के बाद ली गई पिक्चर्स को सहेजते हैं और आप इन पिक्चर्स को खरीदकर रवि को आर्थिक सहायता दे सकते हैं।""

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डेविड

'काम' की कमी नहीं है। पढ़ना और जानना सीख रहे हैं। पत्रकार होने की कोशिश। कबीर की चौखट से 'राम-राम'। पश्चिम उत्तर प्रदेश से हैं। भारतीय जन संचार संस्थान(IIMC)- 2023-24